बैंगन के खेती में करें इस चीज का प्रयोग, मिलेगा बंपर उत्पादन, मुनाफे से हो जाएगें मालामाल!

Vermicompost

Vermicompost in brinjal plants.आजकल गांव से लेकर शहरों में गार्डनिंग करने वाले लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है। जिससे यहां पर लोग तरह-तरह के कीटनाशक और खादें प्रयुक्त करते हैं। जो गार्डन में लगे फल, फूल और सब्जी के पौधे के लिए बहुत उपयोगी साबित होते हैं। अगर आपने गार्डन में लगे बैगन में पौधे में यह खाद प्रयोग कर ली तो बंपर पैदावार के साथ पड़ोसी भी बैगन की सब्जी खाते-खाते हुए थक जाएंगे।

हम आपके लिए यहां पर जबरदस्त तरीके से फल सब्जियों से जुड़ी जानकारी लाते रहते है, जो आपके खेती ही नहीं बल्कि गार्डनिंग के लिए खास साबित हो सकती है। यहां पर ऐसी खाद की जानकारी दे रहे है, जो बिना किसी नुकासान से बन जाती है, इसका प्रयोग करना आसान और सुगम है।

वर्मी कंपोस्ट है पौधों के लिए बेस्ट

दरअसल हम यहां पर बात कर रहे है, वर्मी कंपोस्ट के बारे में। आजकल लोग इस खाद का ज्यादातर प्रयोग कर रहे है। काफी लोगों को वर्मी कंपोस्ट के बारे में जानकारी नहीं होती है, जिससे यह इससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता और पौधों की ग्रोथ बढ़ती है, यहां पर कोई फसल को नुकसान हुए वगैर अच्छी ग्रोथ देती है।

तो वही अगर आप ने बैंगन की फसल उगाई हैं, तो यहां पर वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग कर सकते हैं।  अगर आप ने इसे बैंगन के फसल में प्रयोग कर दिया है, तो यहां  पौधों में रोग का भी खतरा कम होता ही है बल्कि पहले से ज्यादा फल लगते हैं।

ये रहे वर्मी कंपोस्ट के जबरदस्त फायदें

आप को यहां पर वर्मी कंपोस्ट के बारे में बता दें कि यह एक प्रकार की खाद जो जैविक खाद है जो विशेष रूप से लाल केंचुओं की मदद से तैयार किया जाता है। यहां पर एक बड़े गड्डे में इसे बनाया जाता जो, सीमेंट और ईंटों का बना होता है। यहां पर जैविक कचरे, जैसे कि सब्जियों के छिलके, पत्तियों, और अन्य वनस्पतियों को डाला जाता है, जिसे केंचुए खाकर इसे उच्च गुणवत्ता वाली खाद में बदल देते हैं।

सरकार भी वर्मी कंपोस्ट पर योजना संचालित कर रही है, जिसे बनाने के लिए कई तरह से ट्रेनिं तो मिलती है बल्कि पैसों की मदद भी दी जाती है। वर्मी कंपोस्ट के कई फायदे  है, तो इस खाद का प्रयोग करने से पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है, जो उनके विकास के लिए खास रहता है।

वर्मी कंपोस्ट अगर प्रयोग की जाए, तो यहां पर मिट्ट में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम और अन्य माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पौधों की वृद्धि में सुधार होता है। इससे फसल को कोई नुकसान नहीं होता है।

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