नोट जारी होने के बाद जहाँ सभी मीडिया ने दिखाई थी की इस नोट में सुरक्षा की दृष्टि से माइक्रो चिप लगी है जिसके द्वारा एक ही जगह पर बहुत मात्रा में नोट रहने की जगह का पता लगाया जा सकता है। इसके द्वारा गड्ढे में दबे नोट का भी पता लग सकता है। चिप का सीधा कनेक्ट सेटेलाइट के द्वारा है। मगर रिज़र्व बैंक के एक बयान के बाद ऐसी सभी ख़बरों खबरों पर विराम लग गया और तमाम ख़बरें मात्र अफवाह बनकर रह गई।
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मगर अभी देश में आयकर के छापे और रकम की बरामदगी के बाद लोगो में यह विश्वास बनता जा रहा है की आखिर ऐसी सूचनाएं पहले आयकर विभाग को क्यों नहीं मिल रही थी जो अब एक के बाद एक मिल रही है। या आयकर विभाग पहले अपना कर्तव्य पालन नहीं कर रहा था।
इसमे नए नोटों के ढेर के साथ रखे पुराने नोट भी लपेटे में आ रहे है। उदहारण : गाड़ी के बोनट से रूपए की बरामदगी , चारे के घर से , गोदाम से , गुप्त लॉकर तक , स्नान घर , तहखाने , आदि ऐसी तमाम जगहों पर छापे मारी की पुख्ता सुचना के बिना नहीं हो सकती।
ऐसे के लिए आयकर विभाग के पास शायद ही कोई अलादीन चिराग होगा जो इतना सबकुछ बता सके। इसमे कहीं न कहीं नए 2000 के नोट में चिप का लगा होना पुष्टि की और कदम है। जिन लोगो से इतनी बड़ी रकम पकड़ी जा रही है उनके पास वो रकम बहुत पहले से रही है। मगर आजतक पकड़ से दूर रही।
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आज वही रकम इतनी आसानी से और सटीक निशाने के साथ पकड़ में आ रही है। कयास यही लगाए जा रहे है की चिप होने की खबरे अफवाहें मात्र नहीं थी।
अभी तक पकड़ी गई रकम में बिना नए नोट की रकम ना के बराबर है।
अगर चिप नोट के अंदर है तो नोटबंदी अपनी सफलता की और अग्रसर है। इससे कालाधन वालों ने अपने घर या कहीं भी रखा हो वो तो कैसे न कैसे सरकार के पास जाना ही है।
लेकिन सरकार और रिज़र्व बैंक ने साफ़ इनकार किया है की इसमे जीपीएस चिप नहीं है और कुछ एक्सपर्ट भी यही कहते है की इस नोट में चिप जैसा कुछ भी नहीं है।