सुप्रीम कोर्ट ने तलाक और अलगाव में अंतर रखते हुए स्त्रीधन को स्पष्ट रूप से महिला का अधिकार बताया।
न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने तलाक और अलगाव में अंतर बताते हुए महिला को उसके संरक्षक से वापसी की मांग कर सकती है जिसमे उसका पति और पति के परिजन शामिल है।
महिला द्वारा मांगी जाने वाला स्त्रीधन वो सम्पति है जो उसको शादी में या अन्य मौक़ो. जैसे बचे के जन्म आदि पर दी जाती है।
अलगाव की स्थिति में महिला के स्त्रीधन को उसके पति या पति के परिजनो द्वारा रखना अपराध है।
महिला मुकदमा दायर कर सकती है अगर स्त्रीधन नहीं दिया जाता है
महिला संरक्षण कानून 2005 की धारा 12 के तहत महिला अपना दवा पेश कर सकती है यदि उसे पडित स्थिति में स्त्रीधन नहीं दिया जाता।
एक उच्चतम न्यायलय के आदेश को महिला की अर्जी पर उच्चतम न्यायलय ने ख़ारिज किया
जिसमे महिला के स्त्रीधन पर पति का अधिकार बताया था। और अदालतों को महिला संरक्षण कानून के प्रति सवेदनशील रवैया अपनाने की सलाह दी।
अलगाव की स्थिति में महिला मांग सकती है अपना संपूर्ण स्त्रीधन : सुप्रीम कोर्ट
अलगाव की स्थिति में महिला मांग सकती है अपना संपूर्ण स्त्रीधन : सुप्रीम कोर्ट