महिला जब गर्भवती होती है तो लगता है की उसे अब बहुत आराम मिलेगा और किसी भी तरीके से बहाने बनाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
मगर उस के दौरान डॉक्टर चाहते है की मरीज उनके पास आता रहे तो अच्छा है क्योकि आराम की सलाह देने से बच्चा गर्भ में घूम नहीं पायेगा और मरीज को डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा। अतः बहुत ही विकट परिस्थिति में आराम के लिए कहा जाता है। सामान्य महिलाओं को इस तरह से पागल बनाया जाता है।
जब पहली बार प्रसव पीड़ा हो तो महिला को चिकित्सक से दर्दनिवारक दवा या इंजेक्शन नहीं लगवाना चाहिए। इसके कारण कुदरती दर्द को तो आपने रुकवा लिया और समय को बदल दिया अब आपको ऑपरेशन करवाना पड़ेगा।
उनका थोड़ा सा लालच से आपको परेशानी में डाल दिया जाता है।
आपको प्रसव के दौरान वहां पर ये ध्यान रखना है की डॉक्टर के द्वारा बच्चे की नाल को उसी वक्त न काटकर थोड़ा समय लेना चाहिए।
आहार नाल में 30 सीसी के करीबन खून होता है जिसे बच्चे के अंदर पुश करना चाहिए। जिससे बच्चे को खून की कमी नहीं आएगी।
ऑपरेशन की जरुरत बहुत ही कम महिलाओं को होती है। मगर डॉक्टर अपना बिल बढ़ाने के चक्कर में बच्चे का सिर बाहर आने के बाद भी वापस धकेल दिया जाता है। बोल दिया जाता है ऑपरेशन होगा। गांवों में तो आजतक दाइयों ने कभी ऑपरेशन नहीं किये। उनके सामने तो कोई ऐसी समस्या नहीं आती।
100 में से कोई एक निकल भी जाये तो बात अलग है। लेकिन आज तो जहाँ सुनो वहीँ एक बात बच्चा कमजोर है ऑपरेशन से हुआ है।
बच्चा कमजोर और कम वजन का होने का कारण
पिता के अंदर धातु की कमी और माता के अंदर रज की कमी से बच्चे का वजन कम होता है
पिता अगर गुटखा या धूम्रपान करता है तो धातु ख़त्म होने लगती है। और माता में रज की कमी का कारण शारीरिक मेहनत में कमी और टीवी सीरियल ज्यादा देखना।