कोटा. पूरा जिस्म छलनी हो चुका था… ग्रेनेड के धमाके में दोनों हाथ की हड्डियां भी टूट गई…दहशतगर्दों की गोलियों ने दाई आंख भी फोड़ दी… फिर भी ‘चीते की दहाड़ कम न हुई। बंदूक उठाई और एक ही गोली में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी कमांडर अबू हारिश को ढेर कर दिया। गोलीबारी थमी तो पता चला कि कोटा का यह जांबाज चेतन कुमार चीता मौत से जूझ रहा है। उसे एयर एम्बुलेंस से दिल्ली स्थित एम्स के ट्रोमा सेंटर में लाया गया। उन्हें 16 गोलियां लगी थीं, जिसमें से 6 निकाल दीं। सीआरपीएफ की 92 वीं बटालियन के कमांडेंट चेतन कुमार चीता मंगलवार सुबह बांदीपोर जिले में आतंकी होने की जानकारी पर 13 राष्ट्रीय रायफल और जम्मू कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन गु्रुप के साथ पहुंचे। इस दौरान गोलीबारी शुरू हो गई और चीता आतंकियों को चकमा देते हुए उनके बेहद करीब जा पहुंचे, लेकिन बाकी साथी पीछे छूट गए। आतंकियों ने चीता को निशाना बनाकर गोलियां और ग्रेनेड दागे। इससे चीता गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बावजूद चीता ने लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबू हारिश को मार गिराया। घायल होने के बाद भी उन्होंने 16 राउंड गोलियां चलाई थीं।
शरीर गोलियों से छलनी, फिर भी लड़ता रहा हमारा जांबाज
पेट से निकाली गई छह गोलियां
कोटा. कश्मीर के बांदीपोर जिले के हाजिन गांव में पाकिस्तान से आए आतंकियों के होने की सूचना कश्मीर पुलिस से मिली। उसके बाद कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ की 92 वीं बटालियन के कोटा के खेड़ली फाटक निवासी कमांडेंट चेतन कुमार चीता (45) 13 राष्ट्रीय रायफल और जम्मू कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन गु्रप के साथ मंगलवार को गांव में पहुंच गए और पारे मुहल्ले में छिपे आतंकियों को घेर लिया। चीता आतंकियों को चकमा देते हुए उनके बेहद करीब जा पहुंचे, लेकिन बाकी साथी पीछे छूट गए। जिस पर आतकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। जिससे चेतन कुमार गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद बंदूक उठाई और एक ही गोली में लश्कर-ए-तैयबा के दुर्दांत आतंकी कमांडर अबू हारिश को ढेर कर दिया। आनन-फानन में एयर एम्बुलेंस से दिल्ली स्थित एम्स के ट्रोमा सेंटर में लाया गया। ऑपरेशन के बाद डॉक्टर उनके पेट में लगी छह गोलियां निकाल चुके हैं, लेकिन बाकी हिस्सों में लगी गोलियां निकाले जाने बाकी हैं। चिकित्सकों ने 48 घंटे क्रिटिकल बताए हैं। सीआरपीएफ के महानिदेशक के. दुर्गाप्रसाद ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि आतंकियों ने गोलियां और ग्रेनेड दागे, जिससे उनके हाथ, पैर, कूल्हे और पेट में कई गोलियां जा धसीं। एक गोली से जाबांज जवान की दाई आंख भी छलनी हो गई। इसी बीच आतंकियों के फेंके एक ग्रेनेड में धमाका होने से चीता के दोनों हाथों में भी फैक्चर हो गया और सिर एवं चेहरे में छर्रे जा धंसे। घायल होने के बाद भी उन्होंने 16 राउंड गोलियां चलाई थीं।
20 दिन पहले मारा था लखवी का भांजा
तीन महीने पहले ही चीता की तैनाती कश्मीर में हुई थी, लेकिन वह आतंकवादियों के बीच दहशत का पर्याय बन गए थे। 20 जनवरी को भी बांदीपोर इलाके में आतंकियों से उनकी मुठभेड़ में उन्होंने जाकिर उर रहमान लखवी के भांजे और लश्कर कमांडर अबू मुसैब को मार गिराया था।
पिता बोले- चौड़ा हो गया सीना
कोटा के खेड़ली फाटक निवासी पूर्व आरएएस अफसर रामगोपाल चीता फालेज होने के कारण चल फिर नहीं सकते, लेकिन बेटे की बहादुरी का किस्सा सुन दो साल बाद बिस्तर से उठ बैठे और बोले कि मुझे अपने बेटे पर नाज है।